राजस्थान से लाए गए 50 खजूर के पौधे के साथ सांबा में किए गए इस ट्रायल में शानदार सफलता मिली है।
चार साल पहले लगाए गए इन पौधों पर अब फल लगने शुरू हो गए हैं।
किसानों ने इस पहल का स्वागत करते हुए कहा कि अब कंडी इलाके में खजूरों की पैदावार शुरू होगी, जिससे उनकी आय में वृद्धि होगी।
बागवानी विभाग के चीफ हार्टिकल्चर, मुकेश कुमार शर्मा ने बताया, “विभाग द्वारा की गई यह कोशिश सफल हुई है।”
उन्होंने कहा, “यह जम्मू-कश्मीर का पहला खजूर का बाग है। अब स्थानीय किसानों को सस्ते दामों पर खजूर के पौधे मुहैया कराए जाएंगे।”
मुकेश शर्मा ने आगे कहा, “विभाग का उद्देश्य किसानों को बागवानी से जोड़ना और सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाना है। इससे जम्मू-कश्मीर की स्थानीय मार्केट में अपनी खुद की उपज देखने को मिलेगी और अधिक से अधिक किसान इस खेती के साथ जुड़ सकेंगे।”
उन्होंने कहा, “आधुनिक खेती को अपनाकर किसानों की आय में वृद्धि होगी, जो राज्य की अर्थव्यवस्था को भी सुदृढ़ करने में सहायक सिद्ध होगी।”
किसान वीके कुंडल ने कहा, “जम्मू-कश्मीर में मुझे खजूर का बाग देखकर बहुत खुशी मिली। हम इसमें काफी अच्छे तरीके से ग्रो कर सकते हैं। मैं यहां ड्रैगन फुड के सिलसिले में आया था। लेकिन, मेरी नजर जब डेट फॉर्म पर पड़ी, तो मुझे बहुत खुशी मिली। जम्मू-कश्मीर में पहली बार खजूर की बागवानी की जा रही है। लोगों को चाहिए कि वो इस संबंध में विभाग से चर्चा करें। यही नहीं, इसे हम नियमित रूप से आय अर्जित करने का माध्यम भी बना सकते हैं।"