दिल्ली के रहने वाले अभिमन्यु झा ने को बताया, “मैं तो यही कहूंगा कि प्रदूषण अब जानलेवा हो गया है। लोग कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का शिकार हो रहे हैं, और फेफड़े भी खराब हो रहे हैं। हम गरीब लोग तो इसे सहते हैं, क्योंकि प्रदूषण में चलने के अलावा कोई रास्ता नहीं है। लेकिन अगर अमीर लोग अपनी गाड़ियों में कोई नया सिस्टम अपनाएं, जो प्रदूषण कम कर सकते हैं। प्रदूषण अब इतना खतरनाक हो गया है, और यह हर साल बढ़ता ही जा रहा है। जैसे शहर के कुछ इलाकों में थोड़ा फर्क दिखता है, लेकिन हाईवे पर तो हालात बहुत खराब हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “आज तो बस शुरुआत है, ठंड अभी बाकी है, और हर साल यह समस्या और बढ़ती जा रही है। दिल्ली सरकार ने जो छिड़काव शुरू किया है, वह दिखावा जैसा लगता है, क्योंकि प्रदूषण कम होने के बजाय लगातार बढ़ रहा है। गाड़ियों में कोई बदलाव नहीं किए जा रहे, जो हो रहा है वह पूरी तरह से नाकाफी है। हरियाणा और पंजाब में पराली जलाना भी जारी है, और हर कोई एक-दूसरे पर दोष लगा रहा है। सरकार को अब सिर्फ आरोप-प्रत्यारोप में नहीं, बल्कि ठोस उपायों पर ध्यान देना चाहिए। अगर ऐसा नहीं किया गया तो आने वाले दो-चार सालों में गरीब लोग तो बीमारी का शिकार हो जाएंगे।”
काम पर निकले बुद्ध सिंह ने बताया, “आज सड़कों पर इतनी धुंध है, कि जैसे कोई कोहरा सा छाया हुआ हो। आंखों में जलन हो रही है और सांस लेना भी मुश्किल हो रहा है। हम तो काम पर निकले हैं, लेकिन सामने का रास्ता ही नजर नहीं आ रहा। हर बार सरकार प्रदूषण कम करने के दावे करती है, लेकिन हर बार हालत और खराब होते जा रहे हैं। इस बार भी खर्चे तो बढ़ ही रहे हैं, और प्रदूषण पहले से कहीं ज्यादा बढ़ चुका है। अब यह हालत इतनी खराब हो गई है कि प्रदूषण कम करने के सभी दावे सिर्फ बातें ही बनकर रह गए हैं। आजकल सड़कों पर दृश्यता बहुत कम हो गई है। मुझे अपनी ड्यूटी पर जाते हुए भी रास्ता साफ से नहीं दिख रहा।”
एक निजी कारखाने में काम करने वाले प्रभुनाथ दुबे ने बताया, “आज इतनी धुंध है, मुझे साइकिल चलाने में भी बहुत समस्या हो रही है। आज सुबह से ही बहुत कोहरा है। लोगों को बहुत दिक्कत है। आंखों में जलन भी हो रही है।”