दो दिवसीय महोत्सव 15 और 16 नवंबर को आयोजित किया जा रहा है। यह आयोजन शांति बनाए रखने और जीवंत बोडो समाज के निर्माण के लिए भाषा, साहित्य और संस्कृति पर केंद्रित है। इसका मुख्य उद्देश्य बोडोलैंड के साथ-साथ असम, पश्चिम बंगाल, नेपाल और उत्तर पूर्व के अन्य अंतरराष्ट्रीय सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले बोडो लोगों को एकजुट करना है। महोत्सव का विषय 'समृद्ध भारत के लिए शांति और सद्भाव' है, जिसमें बोडो समुदाय के साथ-साथ बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र (बीटीआर) के अन्य समुदायों की संस्कृति, भाषा और शिक्षा पर ध्यान केंद्रित किया गया है। इसका उद्देश्य बोडोलैंड की सांस्कृतिक और भाषाई विरासत, पारिस्थितिकी जैव विविधता और पर्यटन क्षमता की समृद्धि का लाभ उठाना है।
महत्वपूर्ण बात यह है कि यह महोत्सव 2020 में पीएम मोदी के नेतृत्व में बोडो शांति समझौते पर हस्ताक्षर के बाद से सुधार और लचीलेपन की उल्लेखनीय यात्रा का का भी उत्सव है। इस शांति समझौते ने न केवल बोडोलैंड में दशकों से चले आ रहे संघर्ष, हिंसा और जानमाल के नुकसान को हल किया, बल्कि अन्य शांति समझौतों के लिए उत्प्रेरक का काम भी किया।
'भारतीय विरासत और परंपराओं में योगदान देने वाली समृद्ध बोडो संस्कृति, परंपरा और साहित्य' पर सत्र महोत्सव का मुख्य आकर्षण होगा, जिसमें बोडो संस्कृति, परंपराओं, भाषा और साहित्य पर विचार-विमर्श किया जाएगा। एक और सत्र 'राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के माध्यम से मातृभाषा माध्यम से शिक्षा की चुनौतियां और अवसर' पर भी आयोजित किया जाएगा। बोडोलैंड क्षेत्र के पर्यटन और संस्कृति को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 'स्वदेशी सांस्कृतिक बैठक और संस्कृति और पर्यटन के माध्यम से 'जीवंत बोडोलैंड' (वाइब्रेंट बोडोलैंड) क्षेत्र के निर्माण पर चर्चा' पर विषयगत चर्चा भी आयोजित की जाएगी।
इस समारोह में बोडोलैंड क्षेत्र, असम, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, नागालैंड, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, भारत के अन्य हिस्सों तथा पड़ोसी राज्यों नेपाल और भूटान से पांच हजार से अधिक सांस्कृतिक, भाषाई और कला प्रेमी शामिल होंगे।