फहद अहमद ने बताया कि काफी लोग उनके साथ जुड़े हुए हैं। लोगों का समर्थन देखकर बहुत अच्छा महसूस हो रहा है। यह मुझे और अधिक प्रेरित करता है। जनता का यह विश्वास मेरी जिम्मेदारी है और मैं इस विश्वास पर खरा उतरने के लिए अपनी पूरी मेहनत करूंगा। मस्जिदों, दरगाहों और मंदिरों की दुआएं मेरे साथ हैं, और मैं उनकी उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए जी-जान लगा दूंगा।
कांग्रेस नेता नितिन राउत के इस दावे पर कि "जय भीम" बोलने के कारण उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया था, फहद अहमद ने कहा कि जो लोग बाबासाहेब अंबेडकर का सम्मान नहीं करते, उन्हें अपनी सोच बदलनी चाहिए। हम किसी को देश से बाहर नहीं भेज सकते, क्योंकि हम टूर एंड ट्रैवल्स नहीं चलाते, जैसा कि भाजपा वाले करते हैं। बाबासाहेब ने हमें संविधान दिया और बहुत कम लोग यह जानते हैं कि भारतीय रिजर्व बैंक का विचार भी बाबासाहेब का था। मैं फिर से कहता हूं "जय भीम"।
सोशल मीडिया पर फहद अहमद और मौलाना साजिद नोमानी की एक तस्वीर वायरल हो गई थी, जिसके बाद इस मुलाकात को लेकर कई तरह की चर्चाएं शुरू हो गईं। इस पर उन्होंने कहा, "मैं कोई धर्मगुरु नहीं हूं, मैं एक नेता हूं। मेरा काम है हिंदू-मुस्लिम दोनों समुदायों को साथ लेकर चलना। मैंने अपनी राजनीतिक यात्रा के दौरान कई पंडितों से आशीर्वाद लिया है। आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते। चाहे मैं बुद्ध विहार जाता हूं, हनुमान मंदिर जाता हूं या फिर नवरात्रि के पंडाल में जाता हूं, मेरा उद्देश्य हमेशा से ही समाज को जोड़ने का रहा है।"
उन्होंने आगे कहा कि अगर "मौलाना साहब हमारा समर्थन कर रहे हैं", तो क्या फर्क पड़ता है? हमें सबको एक साथ लेकर चलना है, और यही हमारी राजनीति की दिशा है।
मौलाना साजिद नोमानी द्वारा दिए गए हुक्का-पानी बंद बयान पर भी फहद अहमद ने कहा कि जब वह हिंदू समुदाय के लोगों से मिलते हैं, तो लोग उनसे कहते हैं कि आपको जनता के लिए काम करना चाहिए। जब मौलाना साहब से भी मेरी मुलाकात हुई, तो उन्होंने भी यही कहा कि हमें लोगों के लिए काम करना चाहिए। यह एक सकारात्मक बात है, और मैं इसी दिशा में काम करूंगा।