श्री श्री रवि शंकर ने कहा कि बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों के साथ जो अत्याचार हो रहा है, वो बहुत दर्दनाक है। पीड़ित लोगों के साथ खड़े होना धर्मगुरु का फर्ज बनता है, यह उनका कर्तव्य है।
इस वक्त मानवाधिकार का हनन हो रहा है। पीड़ितों के साथ खड़े होने वाले संत को कैद करना कहां का न्याय है। यह किसी भी दृष्टिकोण से सही नहीं है क्योंकि वहां के लोगों के अधिकार के लिए वो खड़े हुए हैं। वो बंदूक लेके नहीं गए हैं, किसी को मारा नहीं है। समुदाय जो भयग्रस्त है, पीड़ित है उनको हिम्मत दे रहे हैं। यह तो हर धर्म गुरु का काम है। वो अपना काम कर रहे हैं और शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलन चला रहे हैं।
इसके अलावा उन्होंने कहा कि पीड़ितों के अधिकार के लिए जो खड़े हो रहे हैं उनको कैद करने से कोई भी समस्या हल नहीं हो सकती, बल्कि आग और भड़केगी। हम बांग्लादेश देश सरकार से निवेदन कर रहे हैं कि आप सुरक्षा दीजिए। देश को पीछे ले जाने वाले जैसे कट्टरपंथियों पर आप नियंत्रण रखें और देश के सभी समुदाय के लोग मिलजुलकर रहे इस तरह का माहौल आप पैदा करें। आप ऐसा काम करें कि वहां के लोग खुद को सुरक्षित महसूस करें।
मैं बांग्लादेश के प्रोफेसर यूनिस से अनुरोध करते हूं कि वे शांति पुरस्कार से सम्मानित हैं, दुनिया के हर कोने में वो जा चुके हैं, वो जानते हैं लोकतंत्र क्या होता है और आप वहां के अल्पसंख्यकों को सुरक्षा दीजिए, यही मेरा आपसे निवेदन है।
बता दें कि भारत ने मंगलवार को बांग्लादेश सनातन जागरण मंच के प्रवक्ता और चटगांव में पुंडरीक धाम के प्रमुख चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी की गिरफ्तारी और बाद में उन्हें जमानत न दिए जाने पर 'गहरी चिंता' व्यक्त की। दास को सोमवार को हजरत शाहजलाल इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस की डिटेक्टिव ब्रांच (डीबी) ने हिरासत में लिया था। दास शेख हसीना की सरकार गिरने के बाद से हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाते रहे थे।
स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, दास को 31 अक्टूबर को दर्ज एक मामले के संबंध में कड़ी सुरक्षा के बीच चटगांव के छठे मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट काजी शरीफुल इस्लाम के सामने मंगलवार को पेश किया गया। उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी गई और उन्हें जेल भेज दिया गया।