बर्क ने से बातचीत में कहा, “हम सर्वोच्च न्यायालय इसलिए गए थे, क्योंकि हमें उम्मीद थी कि इंसाफ जरूर मिलेगा। कोर्ट ने अच्छा आदेश दिया है। निचली अदालतों में सुनवाई पर रोक लगा दी गई है। इसके अलावा, सर्वे की रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे में रखने को कहा गया है। प्रशासन को हिदायत दी गई है कि वह पूरे मामले में तटस्थ रहे।”
सपा सांसद ने कहा, “अब हम इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में एक और याचिका डालेंगे, जिसमें यह मांग करेंगे कि सुप्रीम कोर्ट के सिटिंग जज के नेतृत्व में आयोग गठित कर इस मामले की जांच की जाए, क्योंकि प्रशासन द्वारा गठित आयोग से हम लोग संतुष्ट नहीं हैं।”
उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश के संभल जिले में हाल ही में हुए विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से शांति और सद्भाव सुनिश्चित करने को कहा है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि राज्य सरकार को शांति बनाए रखने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने होंगे। साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि विवाद से उत्पन्न तनाव को जल्द सुलझाया जाए और इलाके में सामाजिक सौहार्द बनाए रखा जाए। उसने कहा कि सर्वे रिपोर्ट फिलहाल सार्वजनिक न की जाए और इसे सील बंद लिफाफे में रखा जाए। कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को यह भी अवसर दिया कि वह निचली अदालत के आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दे सकता है।
अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने मीडिया को बताया कि सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। उन्होंने कहा कि सरकार का दायित्व है कि वह शांति बनाए रखे। मस्जिद कमेटी को भी उच्च न्यायालय में जाने का मौका दिया गया है।