प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "आज, विश्व ध्यान दिवस पर, मैं सभी से आग्रह करता हूं कि वह ध्यान को अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बनाएं और इसकी परिवर्तनकारी क्षमता का अनुभव करें। ध्यान किसी के जीवन में शांति और सद्भाव लाने का एक शक्तिशाली तरीका है, साथ ही हमारे समाज और ग्रह में भी। प्रौद्योगिकी के युग में, ऐप्स और निर्देशित वीडियो हमारी दिनचर्या में ध्यान को शामिल करने में मदद करने के लिए मूल्यवान उपकरण हो सकते हैं।"
संयुक्त राष्ट्र महासभा की ओर से विश्व ध्यान दिवस की घोषणा के बाद दिल्ली के मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान में विश्व ध्यान दिवस पर सैकड़ों लोगों ने ध्यान लगाया।
इस दौरान योग अनुसंधान अधिकारी ए दौरेन सिंह ने कहा, "मैं इस केंद्र में लगभग 25 सालों से काम कर रहा हूं। 21 जून को विश्व योग दिवस मनाया जाता है। साथ ही 21 दिसंबर को अब से विश्व ध्यान दिवस मनाया जाएगा। यह दोनों ही विशेष दिवस हैं। एक साल का सबसे बड़ा दिन है, तो दूसरा साल की सबसे बड़ी रात है। बिना ध्यान के योग अधूरा है। इसलिए हर व्यक्ति को योग करना चाहिए। अभी तक लोगों को लगता था कि योग अलग है, ध्यान अलग है। लेकिन, ध्यान एक योग की ही प्रक्रिया है। जिसको योग करना है, उसके लिए ध्यान जरूरी है। बिना ध्यान के मन शांत नहीं होता है। आजकल की भागम भाग भरी जिंदगी में हर किसी को तनाव और एंजाइटी है। इसलिए मन शांत रखना चाहिए।"
बता दें कि इन दिनों पूरी दुनिया में मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित तमाम समस्याएं बड़ी चुनौती हैं। मानसिक समस्याओं में ध्यान को बहुत कारगर माना जाता है। साथ ही ध्यान व्यक्ति के मस्तिष्क को नकारात्मकता से सकारात्मकता की ओर लाने में बड़ी अहम भूमिका निभाता है। एक अनुमान के मुताबिक, मानसिक समस्याओं के कारण हर 45 सेकंड में एक आत्महत्या होती है। इस समस्या का समाधान ध्यान को माना जा रहा है, जो एक प्रभावी उपाय है। प्राचीन वैदिक ज्ञान पर आधारित इस तरीके की अहमियत को अब पूरी दुनिया द्वारा समझा जा रहा है।