कनाडाई शोधकर्ताओं की एक टीम के नेतृत्व में किए गए शोध में प्रसवपूर्व देखभाल के दौरान ही अतीत में आघात से पीड़ित व्यक्तियों की पहचान करने के महत्व पर जोर दिया गया। इसके साथ ही उनके लॉन्ग-टर्म, ट्रॉमा-इन्फॉर्म्ड सपोर्ट पर प्रकाश डाला गया ताकि उनका मानसिक स्वास्थ्य ठीक रहे।
शोध की मुख्य लेखिका कनाडा के मैकमास्टर विश्वविद्यालय की सामंथा क्रुगर ने कहा, ''हमने पाया कि मस्तिष्काघात के इतिहास वाली महिलाओं में प्रसव के बाद के वर्षों में मानसिक स्वास्थ्य संबंधी गंभीर चुनौतियों की संभावना काफी अधिक होती है।''
क्रुगर ने कहा कि यह संबंध विशेष रूप से उन लोगों के लिए मजबूत था जिनमें पहले से कोई मानसिक बीमारी नहीं थी। अध्ययन में कहा गया है कि गर्भावस्था और प्रसवोत्तर देखभाल के दौरान मस्तिष्काघात एक महत्वपूर्ण, लेकिन अनदेखा जोखिम कारक हो सकता है।
टीम ने 2007 से 2017 के बीच कनाडा के ओंटारियो प्रांत में 7,50,000 से अधिक प्रसव कराने वाली महिलाओं पर नजर रखी और प्रसव के बाद 14 साल तक मानसिक स्वास्थ्य की निगरानी की।
जर्नल ऑफ क्लिनिकल साइकियाट्री में प्रकाशित परिणामों से पता चला है कि पहले मस्तिष्क आघात झेल चुकी 11 प्रतिशत महिलाओं को गंभीर मानसिक रोग का सामना करना पड़ा जबकि बिना किसी पूर्व आघात वाली सात प्रतिशत महिलाओं को मानसिक बीमारी हुई।
महत्वपूर्ण बात यह है कि पहले से मौजूद मानसिक स्वास्थ्य निदान के बिना महिलाओं में, पहले से मस्तिष्क आघात के कारण गंभीर मानसिक बीमारी विकसित होने का जोखिम 33 प्रतिशत बढ़ जाता है। बिना किसी आघात के इतिहास वाली महिलाओं में यह जोखिम 33 प्रतिशत बढ़ जाता है।
अध्ययन में प्रसव के बाद महिलाओं में नींद की कमी को भी जोखिम कारक बताया गया है।
टोरंटो स्कारबोरो विश्वविद्यालय में स्वास्थ्य और समाज विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. हिलेरी ब्राउन ने कहा, "सिर की चोट के बाद ठीक होने के लिए नींद बहुत जरूरी है, लेकिन कई नए माता-पिता के लिए नींद की कमी एक वास्तविकता है।"