सिन्हुआ समाचार एजेंसी के मुताबिक रविवार को जारी बयान में कहा गया कि 10.81 मिलियन डॉलर की योजना को कैबिनेट द्वारा सर्वसम्मति से मंजूरी दी गई। इस योजना को 'युद्ध और सीरिया के साथ नए मोर्चे के मद्देनजर' आगे बढ़ाया जा रहा है।
बयान के अनुसार, इस योजना का लक्ष्य गोलान हाइट्स में इजरायली आबादी को दोगुना करना है। इसमें एक छात्र गांव की स्थापना, नए निवासियों के लिए डेवलपमेंट प्रोग्राम और शिक्षा प्रणाली और नवीकरणीय ऊर्जा बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की पहल शामिल है।
नेतन्याहू ने रविवार को कैबिनेट बैठक की शुरुआत में योजना पर कहा, "गोलान को मजबूत करना इजरायल राज्य को मजबूत करना है और यह इस समय विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।"
इजरायली पीएम ने कहा, "हम इस पर (गोलान हाइट्स पर) कब्जा बनाए रखेंगे, इसे समृद्ध बनाएंगे और इसमें बसेंगे।"
1967 के 6 दिवसीय युद्ध के दौरान इजरायल ने गोलान हाइट्स के एक हिस्से पर कब्जा कर लिया और अंतरराष्ट्रीय निंदा के बावजूद इस पर अपना कब्जा न सिर्फ बरकरार रखा । युद्ध के बाद इजरायली लोग इस क्षेत्र में आकर बसने लगे।
इजरायल ने 1981 में गोलान हाइट्स पर पूरी तरह से कब्जा कर लिया था, जिसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने मान्यता नहीं दी है।
8 दिसंबर को सीरिया के पूर्व राष्ट्रपति बशर अल-असद की सरकार के पतन के बाद, इजरायल ने संयुक्त राष्ट्र की निगरानी वाले बफर जोन पर कब्जा कर लिया, जो 1974 में दोनों देशों के बीच युद्धविराम समझौते के तहत स्थापित एक गैर सैनिक क्षेत्र था।
इजरायली सेना ने एक सीरियाई सेना चौकी पर भी नियंत्रण कर लिया तथा गोलान पर माउंट हरमोन की चोटी पर सेना तैनात कर दी।
इस बीच, इजरायल ने पूरे देश में सीरियाई सेना की संपत्तियों पर हवाई हमले शुरू कर दिए हैं। उसका दावा है कि वे हथियारों को 'आतंकवादी तत्वों के हाथों में पड़ने से' रोकने के लिए ऐसा कर रहे हैं।
इजराइल की सैन्य कार्रवाइयों की क्षेत्रीय देशों ने निंदा की है।