समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, सऊदी विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि यह फैसला सीरिया की सुरक्षा और स्थिरता बहाल करने की संभावनाओं को खत्म करने की कोशिशों का हिस्सा है।
मंत्रालय ने सीरिया की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने की जरुरत पर बल दिया।
यूएई के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में चेतावनी दी कि इजरायल की कार्रवाई से क्षेत्र में तनाव बढ़ सकता है। इसमें कहा गया, "यूएई स्पष्ट रूप से कब्जे वाले गोलान हाइट्स की कानूनी स्थिति को बदलने के उद्देश्य से किए गए सभी फैसलों और कामों को अस्वीकार करता है।"
बयान में इस बात पर जोर दिया गया कि गोलान हाइट्स में इजरायली बस्तियों का विस्तार सीरिया की सुरक्षा, स्थिरता और संप्रभुता के लिए सीधा खतरा है।
कतर के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में इस फैसले को 'सीरियाई क्षेत्रों पर इजरायली आक्रमणों की श्रृंखला में एक नया प्रकरण और अंतरराष्ट्रीय कानून का घोर उल्लंघन' बताया। इसने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की कि वह इजरायल को सीरियाई क्षेत्रों पर अपने हमलों को रोकने औरअपनी कानूनी और नैतिक जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए दबाव डाले।
बयान में सीरिया की संप्रभुता, स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए कतर के अटूट समर्थन को दोहराया गया।
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के कार्यालय की ओर से जारी एक बयान में यह जानकारी दी गई कि सरकार ने गोलान हाइट्स में बस्तियों के विस्तार की योजना को मंजूरी दे दी है।
सिन्हुआ समाचार एजेंसी के मुताबिक रविवार को जारी बयान में कहा गया कि 10.81 मिलियन डॉलर की योजना को कैबिनेट द्वारा सर्वसम्मति से मंजूरी दी गई। इस योजना को 'युद्ध और सीरिया के साथ नए मोर्चे के मद्देनजर' आगे बढ़ाया जा रहा है।
बयान के अनुसार, इस योजना का लक्ष्य गोलान हाइट्स में इजरायली आबादी को दोगुना करना है। इसमें एक छात्र गांव की स्थापना, नए निवासियों के लिए डेवलपमेंट प्रोग्राम और शिक्षा प्रणाली और नवीकरणीय ऊर्जा बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की पहल शामिल है।
नेतन्याहू ने रविवार को कैबिनेट बैठक की शुरुआत में योजना पर कहा, "गोलान को मजबूत करना इजरायल राज्य को मजबूत करना है और यह इस समय विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।"
इजरायली पीएम ने कहा, "हम इस पर (गोलान हाइट्स पर) कब्जा बनाए रखेंगे, इसे समृद्ध बनाएंगे और इसमें बसेंगे।"
1967 के 6 दिवसीय युद्ध के दौरान इजरायल ने गोलान हाइट्स के एक हिस्से पर कब्जा कर लिया और अंतरराष्ट्रीय निंदा के बावजूद इस पर अपना कब्जा न सिर्फ बरकरार रखा । युद्ध के बाद इजरायली लोग इस क्षेत्र में आकर बसने लगे।
इजरायल ने 1981 में गोलान हाइट्स पर पूरी तरह से कब्जा कर लिया था, जिसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने मान्यता नहीं दी है।