मार्केट रिसर्च फर्म कंतार की रिपोर्ट के अनुसार, देश में शौचालय क्लीनर और फ्लोर क्लीनर के इस्तेमाल में वृद्धि देखी गई है।
2014 में शौचालय क्लीनर और फ्लोर क्लीनर का इस्तेमाल घरों में क्रमशः 19 प्रतिशत और 8 प्रतिशत से बढ़कर 2024 में क्रमश: 53 प्रतिशत और 22 प्रतिशत हो गया है।
सरकार द्वारा 2 अक्टूबर, 2014 को शुरू किया गया स्वच्छ भारत मिशन एक देशव्यापी अभियान है, जो खुले में शौच को खत्म करने और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन में सुधार करने तथा खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) गांव बनाने के लिए शुरू किया गया है।
रिपोर्ट में घरों में टॉयलेट क्लीनर के इस्तेमाल में वृद्धि का श्रेय मिशन की सफलता और मार्केटिंग प्रयासों को दिया गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि मिशन ने स्वच्छता जागरूकता और उत्पाद की पहुंच में सुधार खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में किया है।
रिपोर्ट के अनुसार, टॉयलेट क्लीनर में 128 मिलियन से अधिक नए घर जुड़े हैं और फ्लोर क्लीनर सेगमेंट में 52 मिलियन घर जुड़े हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि सरफेस क्लीनर का बाजार करीब 4,200 करोड़ रुपये का है, जिसमें टॉयलेट क्लीनर का हिस्सा आधे से ज्यादा यानी 2,000 करोड़ रुपये है।
कंतार की रिपोर्ट में कहा गया है कि एक दशक पहले यह श्रेणी काफी हद तक शहर-केंद्रित थी लेकिन अब इसमें काफी बदलाव आया है।
एक दशक पहले, टॉयलेट क्लीनर खरीदने वाले 82 प्रतिशत घर शहरी क्षेत्रों में थे, जबकि फ्लोर क्लीनर के लिए यह 90 प्रतिशत था।
कंतार में विश्व पैनल प्रभाग के दक्षिण एशिया के प्रबंध निदेशक के रामकृष्णन ने कहा, "शहरी क्षेत्र अब इस श्रेणी का प्रमुख स्रोत नहीं रह गया है, जबकि ग्रामीण क्षेत्र 52 प्रतिशत योगदान दे रहे हैं। साफ तौर पर, स्वच्छ भारत अभियान ने भारतीय घरों में स्वच्छता के महत्व को बढ़ावा दिया और साथ ही निर्माताओं को घरेलू स्वच्छता श्रेणियों में पैठ बढ़ाने में भी मदद की।"
2014 में अपनी शुरुआत के बाद से, स्वच्छ भारत अभियान ने 5,00,000 से ज्यादा गांवों को ओडीएफ (खुले में शौच से मुक्त) प्लस का दर्जा दिलाया है और ग्रामीण स्वच्छता 39 प्रतिशत से बढ़कर 100 प्रतिशत हो गई है।