पीएम मोदी ने कहा, "इंडो पैसिफिक ओशन इनिशिएटिव’ समुद्री संसाधनों को राष्ट्रों के विकास के लिए एक प्रमुख स्तंभ के रूप में देखता है। महासागरों पर यह संवाद नियम-आधारित विश्व व्यवस्था को और मजबूत करता है और राष्ट्रों के बीच शांति, विश्वास और मित्रता को बढ़ाता है।"
नाइजीरिया में प्रधानमंत्री के कैंप कार्यालय से भेजे गए संदेश में मानवता के समृद्ध भविष्य की साझेदारी के लिए आम सहमति बनाने हेतु सागर मंथन को सफल बनाने की अपील की गई।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "हम 2047 तक विकसित भारत के सपने को साकार करने का प्रयास कर रहे हैं, तो सागर मंथन जैसे संवाद आम सहमति, साझेदारी और सबसे महत्वपूर्ण रूप से समृद्ध भविष्य बनाने के लिए अमूल्य हैं। सभी हितधारकों के सामूहिक प्रयासों से, मुझे विश्वास है कि ये चर्चाएं दूर-दूर तक गूंजेंगी और एक उज्जवल, अधिक जुड़े हुए भविष्य की ओर मार्ग प्रशस्त करेंगी।"
भारत की समृद्ध समुद्री विरासत और इस सेक्टर के विकास के लिए उठाए गए कदमों पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, "भारत की समुद्री परंपरा लाखों साल पुरानी है और यह दुनिया की सबसे समृद्ध समुद्री परंपराओं में से एक है। लोथल और धोलावीरा के संपन्न बंदरगाह शहर, चोल वंश के बेड़े और छत्रपति शिवाजी महाराज के कारनामे महान प्रेरणास्रोत हैं। महासागर राष्ट्रों और समाजों के लिए एक साझा विरासत हैं, साथ ही अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए जीवन रेखा भी हैं।"
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "आज, सभी देशों की सुरक्षा और समृद्धि समुद्री रास्तों से जुड़ी हुई है। महासागरों की क्षमता को पहचानते हुए, भारत की समुद्री क्षमताओं को बढ़ाने के लिए कई परिवर्तनकारी कदम उठाए गए हैं। पिछले दशक में, 'समृद्धि के बंदरगाह', 'प्रगति के बंदरगाह' और 'उत्पादकता के बंदरगाह' के दृष्टिकोण से प्रेरित होकर, हमने अपने बंदरगाहों की क्षमता को दोगुना कर दिया है।"
उन्होंने आगे कहा, "बंदरगाह की दक्षता में वृद्धि, टर्नअराउंड समय को कम करने और एक्सप्रेसवे, रेलवे और नदी नेटवर्क के माध्यम से अंत तक कनेक्टिविटी को मजबूत करने के जरिए, हमने भारत की तटरेखा को बदल दिया है।"
बता दें कि दो दिवसीय इस कार्यक्रम में वैश्विक नेता, नीति निर्माता, उद्योग विशेषज्ञ और विद्वान एक साथ आए हैं।