सीआईआई के डायरेक्टर जनरल, चंद्रजीत बनर्जी द्वारा केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल को लिखे पत्र में कहा कि सरकार की पहल जैसे मेक-इन-इंडिया और कई सेक्टरों के लिए लाई गई प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) स्कीम से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को आकर्षित करने में मदद मिली है।
इस पत्र में आगे कहा गया कि भारत की ओर से नीतिगत बदलाव ठीक ऐसे समय पर किया गया है कि जब भू-राजनीतिक परिस्थितियां भारत के पक्ष में आ गई हैं। कई वैश्विक कंपनियां अपने विस्तार के लिए भारत की ओर देख रही हैं।
पत्र के मुताबिक भारत में एफडीआई प्रवाह 2014-15 में 45.14 अरब डॉलर से बढ़कर 2023-24 में 70.95 अरब डॉलर हो गया है, जो भारत में आधार स्थापित करने के लिए विदेशी निवेशकों की बढ़ती रुचि को दर्शाता है। इसमें कहा गया है कि पीएलआई योजनाओं ने भारी निवेश आकर्षित किया है।
मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने के लिए शुरू की गई पीएलआई योजना जैसी नीतियों ने इलेक्ट्रॉनिक्स सहित 14 प्रमुख क्षेत्रों में 1.97 लाख करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित किया है।
भारत में ऑटो, इलेक्ट्रॉनिक्स, मशीनरी, केमिकल, शिपिंग, रेलवे और अन्य क्षेत्रों मैन्युफैक्चरिंग तेजी से बढ़ रही है।
इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश से भारत के निर्यात को भी बढ़ाने में मदद मिल रही है।
अक्टूबर 2024 के लिए भारत का कुल निर्यात (वस्तुओं और सेवाएं संयुक्त) 73.21 अरब डॉलर रहा है, जो अक्टूबर 2023 की तुलना में 19.08 प्रतिशत अधिक है।
भारत के निर्यात में ऐसे समय में दोहरे अंक में बढ़ोतरी हुई है, जब वैश्विक अर्थव्यवस्था में धीमापन देखा जा रहा है।
इसमें बढ़त की वजह इंजीनियरिंग सामान, इलेक्ट्रॉनिक सामान, जैविक एवं अजैविक रसायन, चावल और कपड़े का निर्यात बढ़ना था, जो दिखाता है कि देश में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में गतिविधियों में तेजी से इजाफा हो रहा है।